शालिनी की मनोदशा
शालिनी अपने कमरे में बैठी हुई पुरानी बातो को याद कर के रोने
लगी| पहले वो बहुत ही समझदार और सुलझी हुई महिला थी पर घर की परिस्थितियों ने उसे जाहिल
बना दिए था| उसके घर में उसके सास ससुर देवर उसका पति शौर्य और बेटी थी| उसकी ननद की
तो पहले ही शादी हो गयी थी|
जब शालिनी शादी हो कर आई तो घर का माहोल उससे बहुत ही अच्छा
लगता था उसके भी बहुत सारे सपने थे जो उसने शादी से पहले देखे थे| घर में उसकी खूब
पूछ होती थी ,घर पर सब उसको खूब लाड प्यार से रखते थे| उसका पति शौर्य भी उसको खूब
घूमता फिरता था जिसको देखकर उसको सब सपने जैसा लगता था क्योकि उसकी ज़्यादातर
सहेलियां अपने ससुराल वालो की बुराई ही किया करती थी, पर वो तो अपने ससुराल वालो से
बहुत खुश थी|
धीरे धीरे समय गुजरता गया और उसने एक नन्ही सी परी को जन्म दिया ,बच्ची के जन्म पर बहुत खुशियां मनाई गयी, सब बहुत खुश थे| शालिनी की सेहत बच्ची के होने के बाद थोड़ी ख़राब रहने लगी, इसी वजह से शालिनी के स्वभाव में भी थोड़ा चिड़चिड़ापन आ गया था, पर वो किसको अपनी मन की व्यथा बताती| बच्ची भी जब देखो तब बीमार हो जाती, वैसे तो वो बहुत प्यारी और खूब नटखट थी|
एक दिन अचानक उसके पति की अचानक नौकरी चली जाती है, जैसे तैसे घर का गुजारा करते| घर में सभी ने उनका साथ दिया पर फिर भी कुछ अच्छा नहीं लगता था, उन्हें ऐसा लगता था की वो घर पर बोझ बन गए है, हालांकि उन्होंने किसी से पैसे नहीं मांगे थे| पहले की कमाई से बचत के पैसों से घर का गुजारा चलता|
शालिनी अब बहुत उदास रहने लगी,उसका किसी काम में मन नहीं लगता वो हर बात पर बहस करने लगी| पर वो करती भी क्या पैसे की तंगहाली में वो बहुत घुटन भरा महसूस करने लगी| अब वो अगर पति से घूमने के लिए कहती तो वो चिल्ला के पड़ता क्योकि उसके पास भी तो ज्यादा पैसे न थे की वो शालिनी के घूमने फिरने के शोक को पूरा को पूरा कर सके| आये दिन घर में झगड़े होने लगे| उन दोनों के झगड़ो के बीच में अगर कोई आता मसलन सास ससुर तो वो भी बिचारे बलि का बकरा बनते| दिन प्रतिदिन घर का माहोल बाद से बदतर होता जा रहा| शालिनी को अब सब उसको मुजरिम भरी निगाहो से देखते थे|
शालिनी की मनोव्यथा को कोई समझ नहीं पा रहा था, वो अंदर से बहुत अकेला महसूस कर रही थी सबसे ज्यादा तो वो इस बात से दुखी थी की जिस आदमी के साथ वो ख़ुशी ख़ुशी जीवन जीना चाहती थी वो ही उसको समझ नही पा रहा था| वो उस घुटन भरे माहौल से बहार जाना चाहती थी|
थोड़े दिनों बाद शालिनी के पति की किसी कंपनी में फिर से नौकरी लग गयी, वो पहले जैसी बढ़िया तो न थी पर फिर भी काम ठीक ठाक चलने लगा| अब धीरे धीरे घर का माहौल बदलने लगा| शौर्य के व्यवहार में भी बदलाव था| अब शालिनी भी सोचने पर मजबूर थी की उसने अपने व्यवहार के कारण सबको नाराज कर दिया नही तो जहा पहले सब साथ होते थे वही आज वो अकेली थी....
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