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मेहनत का फल

अमन तीन भाई बहनो में सबसे बड़ा था बड़ा होने के कारण उसने घर की स्थिति को पहले ही जान लिया था अमन के माँ बाप एक मजदूर थे अमन का बचपन आर्थिक तंगी से गुजरा था |घर में एक वक़्त की रोटी का जुगाड़ बड़ी मुश्किल से होता था माँ बाप दिन रात मेहनत करते ताकि अपने बच्चो का भविष्य सुधर सके,पर फिर भी ज्यादा कुछ नहीं कर पाते थे।

अमन शुरू से ही बहुत होशियार था |पर माँ बाप के पास इतने पैसे न थे की वो अमन को स्कूल भेज सके उसके दो भाई बहन और भी तो थे लेकिन फिर उन्होंने अमन को स्कूल भेजा |अमन के पिताजी की तबियत दिन प्रतिदिन ख़राब रहने लगी पास ही के सरकारी चिकित्सालय में दिखाया तो पाया उनको कैंसर हो गया था |

यह सुनकर तो माँ के होश ही उड़ गए, अब इतने पैसे भी न थे की उनका इलाज करा सके, अतःलम्बी बीमारी के चलते एक दिन वो चल बसे।

माँ और अमन पर तो दुखो का पहाड़ ही टूट पड़ा पर उन्होंने हिम्मत न हारी।

माँ घर घर जा कर साफ़ सफाई कर आती थी और अमन ने एक ढाबे पर काम करना शुरू कर दिया क्योकि घर का गुजरा तो चलाना  था।

वहां अमन की रोज नए नए लोगो से मुलाकात होती पर अमन का ढाबे पर काम करने का मन नहीं करता था पर फिर भी वो काम करने को मजबूर था।

समय के साथ साथ उसका ढाबे का काम अच्छा लगाने लगा | अमन नहीं चाहता था की उसकी तरह उसके भाई बहन की पढाई भी छूट जाये ,इसलिए वो ही मेहनत करता |उसके काम से वहां के मालिक ही नहीं अपितु ग्राहक भी बहुत खुस होते थे।

एक दिन अमन की मुलाकात एक NGO के कार्यकर्ता से हुई जो वहां पर खाना खाने आया था। उसने अमन से बात की तो अमन ने अपनी आपबीती उसको सुनाई ,जिसको सुनकर उसने अमन को स्कूल जाने के लिए प्रेरित किया और अमन को बताया उसका सारा  पढाई का खर्चा  उनकी आर्गेनाईजेशन उठाएगी। यह सुन कर अमन की ख़ुशी का ठिकाना न रहा। अमन मेहनती और परिश्रमी तो था ही, उसने काम  के साथ साथ अपनी पढाई भी जारी रखी।

अपनी काबिलियत के बल पर उसने वो सब मुकाम हासिल  किया  जिसके लायक वो था। उसने  अच्छे अंको के साथ स्कॉलरशिप ले कर विदेश में पढ़ने का सफर तय किया और आज वो एक बड़ी कंपनी का सीईओ है |यह सब उसकी मेहनत का नतीजा था जो उसने ये मुकाम हासिल किया। उसने बहार होते हुए भी NGO के लिए काम करना नहीं छोड़ा जिसने उसे इस लायक बनाया था।

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