मंदना और संयुक्त परिवार
मंदना एक बहुत ही चुलबुली सी प्यारी सी लड़की थी| बचपन से ही बहुत
शैतान ओर सबकी लाड़ली थी| घर परिवार ही नहीं, बल्कि आस पास के भी लोग उसे बहुत प्यार
से खिलाते थे| देखने में वो एक प्यारी सी गुड़िया जैसी लगती थी इसलिए उसका घर का नाम
भी गुड़िया रख दिया था| घर में माँ बाप के अलावा दादा -दादी, ताऊ -ताई थे| घर में इकलौती
होने के कारण खूब लाड प्यार से पली| उसके ताऊ -ताई, के कोई बच्चा न होने के कारण वो
भी उसपे बहुत लाड प्यार लुटाते थे|
मंदना के होने के बाद घर में घर में जैसे खुशिया ही आ गयी थी, पहले
जहा सन्नाटा सा पसरा रहता था वही अब मंदना के आ जाने से रौनक लगी रहती थी| वो
जब पहेली बार बोलने ओर चलने लगी थी तब उसके ताऊजी ने मोहल्ले में मिठाई बांटी थी उनके
लिए तो जैसे मंदना ही सब कुछ थी| मदना की माँ नौकरी करती थी इसलिए घर पर दादी और ताई
ही सारे दिन उसका ध्यान रखते| ताई भी उसको अपनी सगी बेटी से बढ़कर लाड प्यार करती थी|
मंदना भी बड़ी माँ कह कर उसके आगे पीछे घूमती रहती थी|
धीरे धीरे समय गुजरता गया और मंदना की माँ ने एक बेटे को जन्म दिया उसका नाम शौर्य रखा गया| मंदना भी एक छोटा सा भाई पाकर बहुत खुश थी अब उसे खेलने के लिए एक साथी जो मिल गया था|
परिवार में सभी बहुत खुश थे पोता होने की खबर सुनकर दादा दादी ने
भी भगवान का शुक्रिया अदा किया| मंदना के भाई के आने का स्वागत खूब धूम धाम के साथ
किया गया, सभी परिचितों को दावत का न्योता भेजा गया| मंदना भी आये गए मेहमानों से मिलकर
बहुत खुश थी,उसे ये मालूम ही नहीं था की घर पर आयोजन किस चीज का है, पर वो फिर भी अपने
आप में मस्त थी उसे तो बस भाई के लिए आये खिलोनो से खेलने का ही मतलब था|
भाई आने के बाद माँ और बाकि सभी लोग उसी की देखभाल में लगे रहते थे, भाई की सेहत शुरू से ही थोड़ी ठीक नहीं रहती थी इसी कारण सब उसकी सेहत के प्रति चिंतित रहते थे, पर मंदना तो अभी छोटी थी वो ये समझ ही नहीं पा रही थी की अचानक से सबके व्यवहार में क्यों परिवर्तन आया है इसमें उसकी भी कोई गलती नहीं थी| अब मंदना ने स्कूल जाना शुरू कर दिया था स्कूल जाकर उसे अच्छा लगता| पढ़ने लिखने में तो वो शुरू से ही होशियार थी, उसके स्कूल की अध्यपिका भी उसकी खूब तारीफ़ करती थी| घर आने के बाद जहाँ सारे घर के लोग उसके पीछे घूमते थे वही अब सिर्फ ताई ही उसका ध्यान रखती थी| माँ तो पहले ही बिजी रहती थी और भाई के आने के बाद तो जैसे मंदना के लिए तो समय ही न था| दादी भी पोते के चक्कर में सारे दिन लगी रहती थी| पर मंदना अपने भाई से बहुत प्यार करती थी|
धीरे धीरे उसका स्कूल में प्रदर्शन ख़राब होने लगा इसका कारण उसको
वो प्यार न मिलना था जो उसे पहले मिलता था| मंदना इसकी वजह से पढाई में मन नहीं लगा
पा रही थी पर उसके मनोभाव को कोई समझ नहीं पा रहा था| पर उसकी ताई ने ये भाप लिया था
इसलिए वो उसे समझने लगी तुम्हारे घर के सभी लोग तुम्हे बहुत प्यार करते है पर भाई थोड़ा
बीमार रहता है इसी वजह से उसको ध्यान की जरूरत है इसी वजह से घर के बाकि लोग भाई की
तरफ ज्यादा ध्यान देते है पर प्यार तो तुम से भी उतना ही करते है जितना पहले करते थे|
अब मंदना को समझ आ गया था इसलिए वो पहले जैसी ही हो गयी उसके मन में किसी के प्रति
भी बैर का भाव नहीं था| अब उसका प्रदर्शन भी सुधरने लगा|
समय गुजरते के साथ साथ मंदना भी बड़ी हो गयी अब वो कॉलेज जाने लगी थी कॉलेज में भी उसने अच्छे अंको के साथ प्रथम स्थान प्राप्त किया| मंदना अपनी कामयाबी का श्रेय अपनी बड़ी माँ को दिया क्योकि अगर वो उसको नहीं समझती तो पहले वाली मंदना न होती| किसी ने सच ही कहा है की सयुंक्त परिवार में रहने के फायदे अनेक है और नुक़सान कम| पर हम आज कल के भाग दौड़ की जिंदगी में आपसी रिश्तों की अहमियत को भूल गए है|
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