रितिका का कौन सा राज लड़के वाले जान गए
रितिका का कौन सा राज लड़के वाले जान गए
‘‘अरे,संभल कर बेटा,’’ मैट्रो
में तेजी से चढ़ती रितिका के धक्के से आहत बुजुर्ग महिला बोलीं. रितिका जल्दी में आगे बढ़ गई. बुजुर्ग महिला को यह
बात अखर गई. वे उस के करीब जा कर बोलीं, ‘‘बेटा, चाहे कितनी भी जल्दी हो पर कभी शिष्टाचार
नहीं भूलने चाहिए. तुम ने एक तो मुझे धक्का मार कर मेरा
चश्मा गिरा दिया उस पर मेरे कहने के बावजूद मुझ से माफी मांगने के बजाय आंखें दिखा
रही हो.’’
अब तो रितिका ने उन्हें और भी ज्यादा गुस्से से देखा और बोली मैं
जानती हूं, रितिका को गुस्सा बहुत जल्दी आता है. पर इसमें उस की कोई गलती नहीं. वह घर की इकलौती और लाडली
बेटी है.
गजब की खूबसूरत और क़यामत ढाने वाली और होशियार भी है. वह
जल्दी गुस्सा हो जाती है तो सामान्य भी तुरंत हो जाती है. उसे
किसी की टोकाटाकी या जोर से बोलना पसंद नहीं. इस के अलावा
उसे किसी से हारना या पीछे रहना भी नहीं भाता.
जो चाहती उसे पा कर रहती. मैं उसे अच्छी तरह समझती
हूं. इसीलिए सदैव उस के पीछे रहती हूं. आगे चलने या रास्ते में आने का प्रयास नहीं करती.
मुझे जिंदगी ने भी कुछ ऐसा ही बनाया है. बचपन
में अपनी मां को खो दिया था. पिता ने दूसरी शादी कर ली.
सौतेली मां को मैं बिलकुल नहीं भाती थी. मैं
दिखने में भी खूबसूरत नहीं. एक ही उम्र की होने के बावजूद
मुझ में और रितिका में दिन रात का अंतर है. वह गोरी चिट्टी और भरी हुई,
खूबसूरत, नाजुक, बड़ी बड़ी
आंखों वाली और मैं साधारण सी हर चीज में औसत हूं. जाहिर है,
पापा की लाडली भी रितिका ही थी. मेरे प्रति तो
वे केवल अपनी जिम्मेदारी ही निभा रहे थे. पर मैं ने बचपन से
ही अपनी परिस्थितियों से समझौता करना सीख लिया था. मुझे किसी
की कोई बात बुरी नहीं लगती. सब की परवाह करती पर इस बात की
परवाह कभी नहीं करती कि मेरे साथ कौन कैसा व्यवहार कर रहा है. जिंदगी जीने का एक अलग ही तरीका था मेरा. शायद यही
वजह थी कि रितिका मुझ से बहुत खुश रहती. मैं अकसर उस की
सुरक्षाकवच बन कर खड़ी रहती.
आज भी ऐसा ही हुआ. रितिका को बचाने के लिए मैं सामने आ गई,
‘‘नहींनहीं आंटीजी, आप प्लीज उसे कुछ मत कहिए. रितिका ने आप को देखा नहीं था. वह जल्दी में
थी. उस की
तरफ से मैं आप से माफी मांगती हूं, प्लीज,
माफ कर दीजिए.’’ ‘‘बेटा जब गलती तूने की ही
नहीं तो माफी क्यों मांग रही है? तूने तो उलटा मुझे मेरा
गिरा चश्मा उठा कर दिया. तेरे जैसी बच्चियों की वजह से ही
दुनिया में बुजुर्गों के प्रति सम्मान बाकी है वरना इस के जैसी लड़कियां तो…’’
‘‘मेरे जैसी से क्या मतलब है आप का? ओल्ड
लेडी, गले ही पड़ गई हो,’’ बुजुर्ग
महिला को झिड़कती हुई रितिका आगे बढ़ गई. मुझे रितिका की यह
बात बहुत बुरी लगी. मैं ने बुजुर्ग महिला को सहारा देते हुए
खाली पड़ी सीट पर बैठाया और उन्हें चश्मा पहना कर रितिका के पास लौट आई.
हम दोनों जल्दी जल्दी घर पहुंचे. रितिका का मूड औफ हो गया था. पर मैं उसे लगातार चियरअप करने का
प्रयास करती रही. मैं सिर्फ रितिका की रक्षक या पीछे चलने
वाली सहायिका ही नहीं थी वरन उस की सहेली और सब से बड़ी राजदार भी थी. वह अपने दिल की हर बात सब से पहले मुझ से ही शेयर करती. मैं उस के प्रेम संबंधों की एकमात्र गवाह थी. उसे
बौयफ्रैंड से मिलने कब जाना है, कैसे इस बात को घर में सब से
छिपाना है और आनेजाने का कैसे प्रबंध करना है, इन सब बातों
का खयाल मुझे ही रखना होता था.
रितिका का पहला बौयफ्रैंड 8वीं क्लास में उस के साथ
पढ़ने वाला अक्षय था. उसी ने पीछे पड़ कर रितिका को प्रोपोज
किया था. उस की कहानी करीब 4 सालों तक
चली. फिर रितिका ने उसे छोड़ दिया. दूसरा
बौयफ्रैंड वर्तमान में भी रितिका के साथ था. अमीर घर का
इकलौता चिराग वैभव नाम के अनुरूप ही वैभवशाली था. रितिका की
खूबसूरती से आकर्षित वैभव ने जब प्रोपोज किया तो रितिका मना नहीं कर सकी. आज भी रितिका उस के साथ रिश्ता निभा रही है पर दिल से उस से जुड़ नहीं सकी
है. बस दोनों के बीच टाइमपास रिलेशनशिप है. रितिका की नजरें किसी और को भेड़िया
उस दिन हमें अपनी कजिन की शादी में नोएडा जाना था. मम्मी
ने पहले ही ताकीद कर दी थी कि दोनों बहनें समय पर तैयार हो जाएं. रितिका के लिए पापा बेहद खूबसूरत नीले रंग का गाउन ले आए थे जबकि मैं ने
अपनी पुरानी मैरून ड्रैस निकाल ली. नई ड्रैस रितिका की कमजोरी
है. इसी वजह से जब भी पापा रितिका को पार्टी में ले जाना
चाहते तो इसी तरह एक नई ड्रैस उस के बैड पर चुपके से रख आते.
आज भी रितिका ने नई डै्रस देखी तो खुशी से उछल पड़ी. जल्दी
से तैयार हो कर निकली तो सब दंग रह गए. बहुत खूबसूरत लग रही
थी. ‘‘आज तो तू बहुतों का कत्ल कर के आएगी,’’ मैं ने प्यार से उसे छेड़ा तो वह मुझे बांहों में भर कर बोली, ‘‘बहुतों का कत्ल कर के क्या करना है, मुझे तो बस
अपने उसी सपनों के राजकुमार की ख्वाहिश है जिसे देखते ही मेरी नजरें झपकना भूल
जाएं.’’
‘‘जरूर मिलेगा मैडम, मगर अभी सपनों की दुनिया
से जरा बाहर निकलिए और पार्टी में चलिए. क्या पता वहीं कोई
आप का इंतजार कर रहा हो,’’ मैं ने उसे छेड़ते हुए कहा तो वह
हंस पड़ी. पार्टी में पहुंच कर हम मस्ती करने लगे. करीब 1 घंटा बीत चुका था. अचानक रितिका मेरी बांह पकड़ कर खींचती हुई मुझे अलग ले गई और कानों में फुसफुसा कर बोली,
‘‘प्रज्ञा वह देखो सामने. ब्लू सूट पहने मेरे
सपनों का राजकुमार खड़ा है. मुझे तो बस इसी से शादी करनी है.’’
मैं खुशी से उछल पड़ी, ‘‘सच रितिका? तो क्या
तेरी तलाश पूरी हुई?’’ ‘‘हां,’’ रितिका ने शरमाते हुए कहा.
सामने खड़ा नौजवान वाकई बहुत हैंडसम और खुशमिजाज लग रहा था. मैं ने
कहा, ‘‘मुझे तेरी पसंद पर नाज है रितिका, मैं पता लगाती हूं कि यह है कौन? वैसे तब तक तुझे उस
से दोस्ती करने का प्रयास करना चाहिए.’’ वह रोंआसी हो कर
बोली, ‘‘यार यही तो समस्या है. वह पहला
लड़का है जो मुझे भाव नहीं दे रहा. मैं ने 1-2 बार प्रयास किया पर वह अपने घर वालों में ही व्यस्त है.’’
‘‘यार कुछ लड़के शर्मीले होते हैं, हो
सकता है वह दूसरे लड़कों की तरह बोल्ड न हो जो पहली मुलाकात में ही दोस्ती के लिए
उतावले हो उठते हैं.’’ ‘‘यार तभी तो यह लड़का मुझे और भी
ज्यादा पसंद आ रहा है. दिल कर रहा है कि किसी भी तरह यह मेरा
बन जाए.’’
‘‘तू फिक्र मत कर. मैं इस के बारे में
सारी बात पता करती हूं. सारी कुंडली निकलवा लूंगी,’’ मैं ने उस लड़के की तरफ देखते हुए कहा. जल्द ही
कोशिश कर के मैं ने उस लड़के से जुड़ी काफी जानकारी इकट्ठी कर ली. वह हमारी कजिन के फ्रैंड का भाई था. उस का नाम राहुल था.
वह कहां काम करता है, कहां रहता है, क्या
पसंद है, घर में कौन कौन हैं जैसी बातें मैं ने रितिका को बता
दीं. रितिका ने फेसबुक, लिंक्डइन जैसी
सोशल मीडिया साइट्स पर जा कर उस लड़के के बारे में और भी जानकारी ले ली. रितिका ने फेसबुक पर राहुल को फ्रैंड रिक्वैस्ट भी भेजी पर उस ने स्वीकार
नहीं की. अब तो मैं अकसर देखती कि रितिका उस लड़के के ही
खयालों में खोई रहती है. उसी की तसवीरें देखती रहती है या उस
की डिटेल्स ढूंढ़ रही होती है. मुझे समझ में आ गया कि रितिका को उस लड़के से वास्तव में प्यार हो गया है.
एक दिन मैं ने यह बात पापा को बता दी और आग्रह किया कि वे
उस लड़के के घर रितिका का रिश्ता ले कर जाएं. पापा ने उस के परिवार वालों से बात चलाई तो
पता चला कि वे लोग भी राहुल के लिए लड़की ढूंढ़ रहे हैं. पापा
ने अपनी तरफ से रितिका के लिए उन्हें प्रपोजल दिया.
रविवार के दिन राहुल और उस के परिवार वाले रितिका को देखने
आने वाले थे. रितिका बहुत खुश थी. अपनी सब से अच्छी
ड्रैस पहन कर वह तैयार हुई. मैं ने बहुत जतन से उस का मेकअप
किया. मेकअप कर के बालों को खुला छोड़ दिया. वह बेहद खूबसूरत लग रही थी.
मगर आज पहली दफा रितिका मुझे नर्वस दिखाई दे रही थी. जब रितिका को उन के सामने लाया गया तो राहुल और उस की मां एकटक उसे देखते रह गए.
मैं भी पास ही खड़ी थी. राहुल ने तो कुछ नहीं
कहा पर उस की मां ने बगैर किसी औपचारिक बातचीत के जो कहा उसे सुन कर हम सब सकते
में आ गए. लड़के की मां ने कहा, ‘‘खूबसूरती
और आकर्षण तो लड़की में कूटकूट कर भरा है, मगर आगे कोई बात
की जाए उस से पहले ही क्षमा मांगते हुए मैं यह रिश्ता अस्वीकार करती हूं.’’
रितिका का चेहरा उतर गया. पापा भी इस अप्रत्याशित
इनकार से हैरान थे. अजीब मुझे भी बहुत लग रहा था. आखिर रितिका जैसी खूबसूरत और पढ़ीलिखी बड़े घर की लड़की को पाना किसी के
लिए भी हार्दिक प्रसन्नता की बात होती और फिर रितिका भी तो इस रिश्ते के लिए कितनी
उत्साहित थी. पापा ने हाथ जोड़ते हुए धीरे से पूछा, ‘‘इस इनकार की वजह तो बता दीजिए. आखिर मेरी बच्ची
में कमी क्या है?’’
लड़के की मां ने बात बदली और मेरी तरफ इशारा करते हुए कहा, ‘‘मुझे
यह लड़की पसंद है. यदि आप चाहें तो मैं इसे अपनी बहू बनाना
पसंद करूंगी. आप घर में बात कर के जब चाहें अपना जवाब दे
देना.’’ पापा ने उम्मीद के साथ राहुल की ओर देखा तो वह भी हाथ
जोड़ता हुआ बोला, ‘‘अंकल, जैसा मम्मी
कह रही हैं मेरा जवाब भी वही है. मैं भी चाहूंगा कि प्रज्ञा
जैसी लड़की ही मेरी जीवनसाथी बने.’’
रितिका रोती हुई अंदर भाग गई. मैं भी उस के पीछेपीछे अंदर
चली गई. उन्हें बिदा कर मम्मीपापा भी जल्दी से रितिका के
कमरे में आ गए. मगर रितिकाकिसी से भी बात करने को तैयार
नहीं थी. रोती हुई बोली, ‘‘प्लीज,
आप लोग बाहर जाएं, मैं अभी अकेली रहना चाहती
हूं.’’
हम सब बाहर आ गए. इस समय मेरी स्थिति अजीब हो रही थी.
समझ में नहीं आ रहा था कि मैं क्या कहूं. कुसूरवार
न होते हुए भी आज मैं सब की आंखों में चुभ रही थी. मम्मी
मुझे खा जाने वाली नजरों से देख रही थीं तो रितिका भी नजरें चुरा रही थी. मुझे रात भर नींद नहीं आई.
अगली सुबह भी रितिका बहुत उदास दिखी. उस की
नजरों में दोषी मैं ही थी और यह बात सहन करना मेरे लिए बहुत कठिन था. मैं ने तय किया कि मैं राहुल के घर वालों के इनकार की वजह जान कर रहूंगी. रितिका को छोड़ कर उन्होंने मुझे क्यों चुना जबकि रितिका मुझ से लाख
गुना ज्यादा खूबसूरत और स्मार्ट है, होशियार है. मैं तो कुछ भी नहीं. बात की तह तक पहुंचने का फैसला
कर मैं राहुल के घर पहुंच गई. बहुत आलीशान और खूबसूरत घर था
उन का. महरी ने दरवाजा खोला और मुझे अंदर आने को कहा.
घर बहुत करीने से सजा था. मैं ड्राइंगरूम का
जायजा ले रही थी कि तभी बगल के कमरे से चश्मा पोंछती बुजुर्ग महिला निकलीं.
मुझे उन्हें पहचानने में एक पल भी नहीं लगा. यह तो
मैट्रो वाली वही बुजुर्ग महिला थीं जिन का चश्मा कुछ दिन पहले रितिका ने गिरा दिया
था. मैं ने उन्हें चश्मा उठा कर दिया था. मुझे सहसा सारी बात समझ में आने लगी कि क्यों रितिका को रिजैक्ट कर
उन्होंने मुझे चुना. सामने से राहुल की मां निकलीं. मुसकराती हुई बोलीं, ‘‘बेटा, मैं
समझ सकती हूं कि तू क्या पूछने आई है. शायद तुझे अपने सवाल
का जवाब मिल भी गया होगा. दरअसल, उस
दिन मैट्रो में
मैं भी वहीं थी और सब कुछ अपनी नजरों से देखा था. खूबसूरती,
रंगरूप, धन, इन सब से
ऊपर एक चीज होती है और वह है संस्कार. हमें एक सभ्य और
व्यवहारकुशल बहू चाहिए बिलकुल तुम्हारे जैसी.’’ मैं ने आगे
बढ़ कर दोनों के पांव छूने चाहे पर अम्मांजी ने मुझे गले से लगा लिया.
घर पहुंची तो रितिका ने पहले की तरह रूखेपन से मेरी तरफ
देखा और फिर अपने काम में लग गई. मैं उस के पास जा कर धीरे से बोली, ‘‘कल के इनकार की वजह जानने मैं राहुल के घर गई थी. तुझे
याद हैं वे बुजुर्ग महिला, जिन का चश्मा मैट्रो में तेरी
टक्कर से नीचे गिर गया था? दरअसल, वे
बुजुर्ग महिला राहुल की दादी हैं और इसी वजह से उन्होंने तुझे न कह दिया. पर तू परेशान मत हो रितिका. तेरी पसंद के लड़के को
मैं कभी अपना नहीं बनाऊंगी. मैं न कह कर आई हूं.’’
रितिका खामोशी से मेरी तरफ देखती रही. उस की
आंखों में रूखेपन की जगह बेचारगी और अफसोस ने ले ली थी. थोड़ी
देर चुप बैठने के बाद वह धीरे से उठी और मुझे गले लगाती हुई बोली, ‘‘पागल है क्या? इतने अच्छे रिश्ते के लिए कभी न
नहीं करते. मैं करवाऊंगी राहुल से तेरी शादी.’’
मैं आश्चर्य से उसे देखने लगी तो वह मुसकराती हुई बोली, ‘‘आज तक
तू मेरे लिए जीती रही है. आज समय है कि मैं भी तेरे लिए कुछ
अच्छा करूं. खबरदार जो न कहा.’’ मेरे
दिल पर पड़ा बोझ हट गया था. मैं ने आगे बढ़ कर उसे गले से
लगा लिया.
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