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रश्मि और राखी की पढ़ाई


रश्मि ने राखी को आवाज़ लगाई राखी- राखी तो वो बोली हाँ मेमसाब, रश्मि ने पुछा की घर का काम पूरा हो गया क्या? राखी ने सर हिला कर कहा की हां हो गया तो रश्मि ने कहा की उन्हें कहीं जाना है इसलिए कल जल्दी आ जाना।
राखी ने कहा ठीक है वह कल जल्दी आ जाएगी, राखी अपनी माँ के साथ घर का काम करने आती थी, वैसे तो उसकी माँ कभी कभार ही राखी को काम पर लाती थी वह भी तब जब काम ज़्यादा होता था।

रश्मि भी घर पर अकेली रहती थी इसलिए राखी के आने के बाद वह भी खुश हो जाती थी क्योंकि वह सिर्फ दस बारह साल की बच्ची तो थी और जब काम ख़त्म हो जाता तो वह इधर उधर खेलती थी।

शाम को रश्मि का पति विवेक जब घर पर आता तो रश्मि उसके लिए अच्छा खाना बना थी और इस तरह उसका  जीवन अच्छा चल रहा था।

राखी एक सीधी साधी लड़की थी जो ज़्यादा नहीं बोलती थी और अपने में ही खुश रहती थी, एक दिन रश्मि ने देखा की राखी लाइब्रेरी में किताबों को साफ़ करते हुए उन्हें निहार रही थी तो रश्मि ने उसे अपने पास बुलाया और पुछा की क्या वह स्कूल नहीं जाती?

तो उसने ना में सर हिला दिया पर उसे पढ़ना लिखना आता था तो रश्मि ने कुछ किताबें उसे दे दी और वह ख़ुशी में झूमती हुई उन्हें अपने घर ले गयी।

उस दिन के बाद वह पहले जैसी हिचकिचाती नहीं थी और धीरे धीरे और किताबें ले जाने लगी जिससे पता चलता था की उसे किताबें पढ़ना अच्छा लगता है पर उसके घर वालों के पास इतने पैसे नहीं थे की उसे स्कूल भेज सकें इसलिए वह आगे नहीं पढ़ पाई और तो और उसके चार भी भी थे तो लड़की को कौन पढ़ाता?

राखी अपने भाई बहनों में सबसे बड़ी थी।

रश्मि एक लेखिका थी और उसे पढ़ना पढना अच्छा लगता था तो उसने राखी से कहा की वह उसे पढ़ाएगी और जब भी उसे समय मिले तो पढ़ने आ जाया करे।

कुछ दिनों बाद राखी की लगन देखकर रश्मि ने उसे स्कूल में भर्ती करवा दिया और उसके माँ बाप को भी ऐतराज़ नहीं था बस फिर क्या था राखी ने खूब मन लगाकर पढाई करनी शुरू कर दी और अच्छा प्रदर्शन किया।

वह परीक्षाओं में प्रथम आने लगी और आगे बढ़ती गयी बाद में उसे स्कालरशिप मिल गयी और वह रश्मि की बड़ी दीदी की तरह आदर करने लगी।

समय को तो जैसे पंख लग गए थे और राखी बारवी क्लास में आ गयी और फिर उसने बारवी में भी अच्छे अंक प्राप्त करे जिसे उसके माँ बाप का सर भी ऊँचा हो गया।

बाद में रश्मि ने उसका एडमिशन एक अच्छे कॉलेज में करवा दिया और कॉलेज में भी बढ़िया तरीके से पढाई करने के बाद उसने सरकारी नौकरी की तैयारी करि और उसके परिश्रम से उसे एक सरकारी नौकरी भी मिल गयी।

अब वह सरकारी बैंक में मेनेजर लग गयी है और उसके माँ बाप का सर गर्व से ऊँचा हो गया है जिससे उसके घर के हालात भी सुधर गए हैं।

जब राखी की पहली सैलरी आयी तो उसने वह सीधा लाकर रश्मि के हाथों में रख दी इसके बाद रश्मि ने उसे गले लगाया और उससे कहा की ये सब उसकी मेहनत का ही फल है।


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