रिश्तों की अहमियत
अगले कुछ दिनों में कुछ
होने वाला था. मैं चारों पैरों पर खड़ा हो कर ताकने की कोशिश कर रहा था. घर की चौकीदारी तो मेरा ही काम
है न. हर जने की
आवाज पहचानता हूं. रिया की सारी सहेलियों को जानता हूं. मालिक मालकिन का दुलारा हूं और रिया तो कई बार कह देती है
कि मैं तीसरा बेटा हूं उन का. उन की बातें चाहे समझ न आएं पर चेहरा तो पढ़ ही सकता हूं न.
‘‘रिया, घर
पर दोस्तों का जमघट न लगा लेना. नेहा या मायरा को बुलाना हो तो सोने के लिए बुला लेना और किसी को नहीं.’’
‘‘ओह मम्मी, मैं छोटी बच्ची थोड़े ही हूं. औफिस जाने लगी हूं. सचमुच इतनी हिदायतें देने की जरूरत है क्या?’’
आशु ने फौरन रिया को
हमेशा की तरह पुचकारा, ‘‘माया, रिया बड़ी हो गई है, यह जानती है कैसे रहना है. नया सालका समय है, बच्चे भी तो ऐंजौय करेंगे. जब हम दोनों बाहर जा रहे हैं तो यह भी घर में अकेली क्यों
रहे… दोस्त आ भी
जाएंगे तो बुरा क्या है?’’
‘‘मेरे सामने इस के फ्रैंड्स आते ही हैं, मुझे कोई दिक्कत नहीं पर मेरे पीछे से आने में मुझे चिंता
रहती है, साफ
बात है. यशभी
दोस्तों के साथ गोवा चला गया वरना परेशानी की कोई बात ही न होती.’’
रिया ने अब लाड़ से माया
के गले में हाथ डाल दिया, ‘‘ओके मम्मी. आप आराम से जाओ… जमघट नहीं लगेगा. खुश?’’
माया ने भी रिया का गाल
चूम लिया. मैं वहीं खड़ा यह रोचक दृश्य देख रहा था. आशु ने मेरे सिर पर हाथ फेरा तो मैं भी पूंछ हिलाता हुआ उन
से लिपट गया.
आशु और माया हर साल तो नया
सालपर मुंबई में घर पर ही रहते थे पर इस बार माया को नया सालपर कुछ दोस्तों के साथ
गोवा जाना था.
यशभी औफिस से छुट्टी ले
कर गोवा जा चुका है. उसे वैसे भी कोई ज्यादा रोकताटोकता नहीं है. अब यह रिया… शैतान लड़की… हर साल नया सालपार्टी नेहा के घर होती है.
वहीं सब बच्चे इकट्ठा होते
हैं. रिया की एक
बात मुझे पसंद है. उसे बाहर से अच्छा अपने घर पर दोस्तों के साथ समय बिताना पसंद है.
उस में भी माया मना कर रही
है. गलत बात है.
बस, नया सालपर रिया नेहा के घर न
चली जाए वरना मैं अकेला रह जाऊंगा. वैसे आज तक अकेला नहीं रहा.
आशु और माया चले गए. रिया ने मुझे गोद
में बैठा लिया. लिपट
गई मुझ से. कैसे
जान लेती है न मेरे मन की बात. बोली, ‘‘डौंट
वरी बडी, तू
अकेला नहीं रहेगा. मैं कहीं नहीं जाऊंगी. घर पर पार्टी करेंगे.’’
मैं मन ही मन हंसा. बडी नाम रखा था रिया
ने मेरा. अपना
नाम पसंद है मुझे. रिया सोफे पर पसर गई. मैं भी वहीं फर्श पर लेट गया. उस ने फोन स्पीकर पर रखा और चहकी, ‘‘नेहा, गुड न्यूज. नया सालपार्टी इस बार मेरे घर
पर.’’
‘‘अरे वाह, अंकलआंटी गए?’’
‘‘हां. बोल,
किसेकिसे बुलाना है?’’
‘‘वही अपना पूरा ग्रुप.’’
‘‘ठीक है, डिनर और्डर करेंगे, मूवी देखेंगे… सब शाम को आ जाओ. तुम ही सब से बात कर लो.’’
मेरे कान खड़े हुए मूवी. ओह, यह रिया की बच्ची फिर ‘ओम
शांति ओम’ लगाएगी.
इतनी बड़ी फैन जो है शाहरूख
की. इस का मूड
अच्छा हो तो यही मूवी देखती है. चलो ठीक है. आशु और माया के हर साल के टीवी के नया सालके प्रोग्राम से तो अच्छा ही
कटेगा मेरा समय.
उन दोनों की टीवी की
पसंद के प्रोग्राम से परेशान हो चुका हूं. जब से आशु रिटायर हुए हैं पूरा
दिन दोनों ‘सावधान इंडिया’ या ‘क्राइम पैट्रोल’ देखते
हैं. उस के बाद
दोनों बातें भी वैसी ही करने लगे हैं. देखा था न, अभी जाते हुए रिया को कैसे समझा रहे थे कि जमाना खराब है,
कोई किसी का नहीं,
दोस्त ही दुश्मन होते हैं,
किसी पर भी विश्वास नहीं
करना वगैरावगैरा.
वह तो अच्छा है रिया एक
कान से सुन कर दूसरे से निकाल रही थी. यह क्राइम पैट्रोल का ज्ञान है, रिया जानती है वरना तो पार्टी
हो ही न पाती. इस
के दोस्त तो बहुत अच्छे हैं. जब भी आते हैं कैसा यंग माहौल हो जाता है. वाह, आज की रात धमाल रहेगा… मजा आएगा. अभी सो लेना चाहिए.
जैसे ही आंख लगी, रिया सोनूके साथ
मेन्यू डिस्कस करने लगी, आशु और माया घर पर नहीं होते तो रिया का फोन स्पीकर पर रहता है,
इसलिए मैं सब आराम से सुनता
हूं. यश भी
स्पीकर पर रखता है. उस की भी सब बातें मुझे पता हैं. गोवा दोस्तों के साथ नहीं गया है गर्लफ्रैंड प्रीति के साथ
गया है और यह सिर्फ मैं जानता हूं. बडी सब जानता है.
रिया जोरशोर से पार्टी
की तैयारी में लग गई है. न… न… कामवाम में नहीं,
बस सोफे पर लेट कर फोन करने
में. रिया का बस
चले तो पार्टी भी सोफे पर लेट कर निबटा लें. लेट कर फोन पर वीडियो, शो देखना या कोई किताब पढ़ना उस का शौक है पर बहुत मस्ती है
उस में… मूड
अच्छा हो तो मुझे बैठने ही नहीं देगी… इतना
खेलेगी… क्या खेलती है? बताऊं? बुद्धू बनाती है मुझे.
इसी सोफे पर लेटीलेटी
बारबार बौल फेंकती रहती है और
‘बडी जाओ, बौल लाओ… शाबाश’
कहती रहती है. कभी इधर फेंकेंगी, कभी उधर… कभी डाइनिंग टेबल के नीचे तो कभी
सोफे के नीचे… पागल बनाती है पर मजा
भी आता है. मुंबई
के इन फ्लैट्स में यही खेल सकते हैं.
रिया खाने का और्डर दे
रही है. मेरे कान खड़े हो गए. यहां घर में सब वैजिटेरियन हैं, यश कभीक भी मेरे लिए कुछ नौनवैज पैक करवा लाता है.
किसी को पता नहीं है कि वह
बाहर नौनवैज खाने लगा है. बस, मुझे
पता है. मुझे
स्मैल आ जाती है कि जनाब बाहर नौनवैज उड़ा कर आए हैं. हां, तो जिस दिन यशमेरे लिए नौनवैज
पैक करवा कर लाता है, अपनी पार्टी हो जाती है. वैसे माया के हाथ की सादी दाल और रोटी में भी स्वाद है पर रोजरोज… चेंज मुझे भी चाहिए.
रिया फाइनल कर रही है… पिज्जा, चिकन बिरयानी,
वेज बिरयानी, कोल्ड ड्रिंक्स, आइसक्रीम… मुझे खास इंट्रैस्ट नहीं आया.
खैर, चिकन बिरयानी चलेगी.
दालरोटी से तो बैटर ही
रहेगी.
रिया मेरे ऊपर गिरती हुए
लिपट गई. हो गई इस की मस्ती शुरू. ‘‘बडी, पार्टी
है. मजा आएगा… तेरे लिए चिकन बिरयानी,
ठीक है?’’
मैं ने पूंछ हिला दी. हंसा, रिया का हाथ चाट लिया.
‘‘चल, अब
लंच करते हैं, फिर
सोएंगे, शाम को
फिर फ्रैश रहेंगे.’’
रिया हम दोनों का खाना
ले आई. दाल में भिगो कर रोटी के टुकड़े मेरे बरतन में मुझे दिए, खुद भी अपनी प्लेट ले कर बैठ
गई. रिया कुछ
चीजों में सीधी है… जो भी माया बनाती है, चुपचाप खा लेती है. यशको खिला कर देखो दाल और रोटी, देखते ही कहता है कि क्या मैं बीमार हूं मां? उस समय मुझे जोर से हंसी आती
है.
खाना खा कर हम दोनों
सोने चले गए. बहुत सालों बाद दिन में 2 घंटे जम कर सोया, यह नींद रोज मेरे नसीब में कहां. ‘सावधान इंडिया’ की आवाजें सुनी हैं कभी?
हर कोने में छिप कर लेट कर
देख लिया… सो
नहीं पाता.
शाम को रिया मुझे बाहर
घुमाने ले गई. सोसायटी की आंटियां रिया से पूछ रही हैं कि और रिया,
नया सालपार्टी कहां है? और शैतान रिया
कितना भोला मुंह बना कर कह रही है, ‘‘पार्टी नहीं है आंटी, घर पर ही हूं.’’
ये माया की सहेलियां हैं
न… ये
आंटियां नहीं, रिपोर्टर होती हैं. रिया नहाधो कर तैयार हो रही है. दोस्तों के फोन आते रहे. सब खुश हैं… पार्टी के लिए एक घर खाली मिल गया है. 8 बजे सब आ गए. संजय, नेहा, रिंकी,
टोनी, मयंक, मायरा, नेहा, आरती… सब अच्छे लगते हैं मुझे.
टोनी ने पहला काम जमीन
पर ही बैठ कर मुझ से खेलने का किया, ‘‘हैलो बडी, मिस यू यार.’’
यही कहता है वह हमेशा. मैं ने भी कहा,
‘‘मिस यू टू, तुम सब जल्दी आया करो… पर बोल नहीं पाता तो मेरी बात तो
मुंह में ही रह जाती है न. सब मुझे ‘हैलो बडी’ कह कर प्यार कर रहे थे.’’
सैल्फी की शौकीन आरती ने
सब से पहले मेरे साथ कई फोटो लिए, मैं ने भी
अच्छे पोज दिए, मुझे तो आदत हो गई
है. यशव रिया के
सारे दोस्त मेरे साथ सैल्फी लेते हैं. तब मुझे स्टार जैसा फील होता है.
9 बजे तक खाने की डिलिवरी हो गई, रिंकी ने कहा, ‘‘सुनो, खाना गरम है. पहले खा लें?’’
रिया की चिंता सब से अलग
होती है. बोली, ‘‘रातभर
पार्टी करेंगे. दोबारा
भूख लग आई तो?’’
सोनूने कहा, ‘‘नया सालका टाइम
है, फिर मंगवा
लेंगे.’’ खाने के पैकेट खुल गए.
मेरे बरतन में सब से पहले रिया
ने चिकन बिरयानी परोसी. थैंक्यू रिया, कहते हुए मैं टूट पड़ा. बहुत बढि़या सारी खत्म कर दी. सब बच्चे ड्राइंगरूम में खा रहे थे.
मयंक ने पूछा, ‘‘बडी पिज्जा चाहिए?’’
मैं वहां से हट गया. बिरयानी के बाद
पिज्जा कौन खाएगा. मुंह का स्वाद अच्छा था.
रिया सब को समझा रही थी, ‘‘सुनो,
सब लोग प्लीज 1-1
चीज कूड़ेदान में डालना…’’ सब अपने अपने बरतन धोपोंछ कर
रखना. मम्मी को
बताना नहीं है कि हम ने पार्टी की है. उन के सामने पार्टी हो तो उन्हें ठीक लगता है. उन के पीछे से पार्टी हो तो
उन्हें चिंता हो जाती है कि पता नहीं क्याक्या होता होगा.
मायरा ने कहा, ‘‘डौंट वरी,
हम सब संभाल लेंगे.’’ 10 बजे तक धीरेधीरे खाते हुए सब
ने मजेदार गप्पें मारीं. कितनी अलग है इन की दुनिया. हलकीफुलकी मजेदार बातें… मूवीज की, नए गानों की… अपनेअपने औफिस की मजेदार बातें. मुझे यह साफ समझ आया कि सोनूमायरा
का बौयफ्रैंड है, टोनी आरती का. बस, बाकी
सब में अच्छी मजबूत दोस्ती है. सब ने मिल कर 1-1 चीज समेट दी.
रिया ने कहा, ‘‘सुबह 8
बजे तक सब चले जाना वरना 9
बजे लता आंटी काम के लिए
आएंगी… वे मम्मी
को सब बता देंगी.’’
‘‘हां हां, डौंट वरी. आज पार्टी के लिए घर मिल गया, इतना बहुत है. नया सालपर होटलों की वेटिंग बहुत लंबी रहती है. अब आराम से खाना तो खाया… अब टाइमपास करेंगे.’’
रिया बोली, ‘‘चलो, मूवी देखें कोई.’’
मेरे कान खड़े हो गए. कोई मूवी क्या?
यह पक्का ‘ओम शांति ओम’ लगाएगी, इस का अच्छा मूड हो और यह यह
मूवी न देखे… डायलौग
रट गए हैं मुझे. सब अपनीअपनी पसंद बताने लगे, मैं आराम से बैठ गया, जानता हूं किसी की नहीं चलेगी. रिया शाहरूख के अलावा किसी की
मूवी नहीं देखेगी. 20 मिनट बाद तय हुआ कि ‘ओम शांति ओम’ देखी जाएगी.
देखा? वही हुआ जो मुझे
सुबह से पता था. शैतान रिया. हमेशा कैसे भोली सूरत बना कर अपनी बात मनवा लेती है… प्यारी है, दोस्त
प्यार करते हैं उसे. मूवी का नाम सुनते
ही मैं मालिक और मालकिन के बैड के नीचे घुस
कर यह सोच कर लेट गया. शायद वहां आवाज कम
आए.
टोनी आवाज देने लगा, ‘‘बडी आओ,
मूवी देखें… कहां हो यार?’’
मैं ने कहा, ‘‘रहने दो भाई,
तुम ही देख लो, तुम ने शायद एक बार ही देखी
होगी… मुझे
बख्शो. मैं रिया
के साथ ही रहता हूं.’’
मयंक भी आवाज दे रहा है, ‘‘कम,
बडी कम.’’
‘‘ओह, जाना
पड़ेगा. कोई
बुलाता है तो जाना ही पड़ता है. मैं ड्राइंगरूम में बच्चों के पास जा कर खड़ा हो गया. मयंक ने मुझे अपने से लिपटा
लिया, ‘‘आओ,
बडी, मूवी देखेंगे.’’
मैं ने कहा, ‘‘मुझे एक भी सीन
नहीं देखना इस मूवी का. मुझे पूरी मूवी रट गई है, अब तो रिया के अच्छे मूड से डर लगने लगा है. मुझे माफ करो.’’
अजी कहां, रिया ने मेरे पास
फर्श पर ही अपना तकिया रख लिया. लेट गई. बोली, ‘‘आ
जा बडी, तेरे
बिना मूवी देखने में मुझे मजा नहीं आता.’’
अब तो कहीं छिप कर बैठ
नहीं सकता न. मूवी शुरू हो गई. मैं आंखें बंद किए लेटा तो था पर कानों में डायलौग तो पड़ने ही थे.
अगर शाहरूख खान की मूवी के
डायलौग का इम्तिहान हो तो मैं ही फर्स्ट आऊंगा और रिया को श्रेय दूंगा.
12 बजने में 2 मिनट पर टीवी बंद कर दिया गया.
फिर हैप्पी नया सालके शोर
से ड्राइंगरूम गूंज उठा. सब एक दूसरे के गले मिल रहे थे. मुझे भी सब ने हैप्पी नया सालकहा. बच्चों में मैनर्स हैं.
रिंकी चिल्लाते हुए बोली, ‘‘अब थोड़ा डांस हो
जाए.’’
मुझे पता है रिंकी को
डांस का शौक है. एक दिन बता रही थी कि उस ने डांस क्लास जौइन की है. मैं तो बहुत किनारे जा कर बैठ
गया. डांस तो
देखना था. मुझे
इन बच्चों का डांस देखने में मजा आता है. ड्राइंगरूम का फर्नीचर एक तरफ कर जगह बना ली गई.
मुझे पता था रिया कौन सा
म्यूजिक लगाएगी, यही तो सुनती है आजकल. बादशाह के गाने…
वैसे उसे और कर्णप्रिय
मधुर गाने भी पसंद हैं पर फिर वही बात, उस का मूड अच्छा हो तो आप शाहरूख की मूवीज और बादशाह के
गानों से बच ही नहीं सकते. बच्चे बढि़या डांस कर रहे हैं. यह टोनी… थोड़ा मोटा है पर डांस अच्छा कर लेता है. सब रिंकी के स्टैप कौपी कर रहे हैं. वह सीखती है न, सब को नएनए स्टैप बता रही है
हमारी रिया. उसे
किसी के डांस से मतलब नहीं. उस का अपना ही डांस होता है. कोई उसे तो कौपी कर ही नहीं सकता. कुछ भी करती है, अच्छा करती है.
अब डांस शुरू हो गया तो
जल्दी नहीं रुकेगा. बीचबीच में कोल्ड ड्रिंक पी जाती, फिर शुरू हो जाते. 3 बजे तक डांस किया सब ने. बहुत मजा आया. वैसे तो रिया माया के बताए घर के 2 काम करने में थक जाती है,
पर इस समय देखो,
अच्छा है… बच्चे मेरे सामने हैं.
अच्छी पार्टी है.
नहीं तो हर बार नया सालपर
टीवी के बोरिंग प्रोग्राम.
डांस के बाद जिसे जो जगह
समझ आई, वहीं सो गया. रिया के बैड पर 3
लड़कियां… बाकी नीचे चादर बिछा कर सो गईं. आशु व माया के
बैडरूम में लड़के सो गए. सब इंतजाम देख मैं भी ड्राइंगरूम में फर्श पर बिछे अपने बैड पर सो गया.
टोनी सोफे पर ही लेटा था,
उस के खर्राटों से मेरी
नींद खुलती रही. सब को पता था टोनी खर्राटे लेता है, इसलिए उसे सोफे पर सुलाया गया था, पर मैं तो फंस गया न.
रिया के 7 बजे के अलार्म से
भगदड़ सी मची. मिनटों
में पूरा घर जैसे था वैसे व्यवस्थित कर दिया गया. एक बार फिर एकदूसरे को हैप्पी नया सालकहते हुए सब अपनेअपने
घर चले गए. रिया
मुझे बाहर घुमा लाई. फिर लताबाई आ गई. रिया ने लताबाई को भी नया सालविश किया. लता बाई ने पूछा, ‘‘रिया, घर पर ही थी? कहीं गई नहीं? फ्रैंड्स लोग आए क्या?’’
‘‘नहीं, आंटी.’’
‘‘पार्टी नहीं की?’’
‘‘नहीं आंटी,’’ रिया
ने मुझे आंख मारते हुए ताली दी तो मैं ने भी आंख मारते हुए अपना पंजा उठा दिया.
‘‘ओह बडी, आई लव यू,’’ रिया
मुझ से लिपट गई, ‘‘लव यू टू, रिया.’’
रिया ने मेरे कान में
पूछा, ‘‘बडी, मजा
आया न पार्टी में?’’
‘‘हां, बहुत,’’ मैं ने जोर जोर से अपनी पूंछ हिला दी.
युवा कहकहों से गूंजते घर
में, हंसतेखेलते,
डांस देखते मेरे नए साल की
शुरुआत काफी अच्छी थी.
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